एक जमाने में पैंट को नीचे खिसकने से रोकने के लिए सस्पैंडर्स का इस्तेमाल होता था जिसे आम भाषा में उन दिनों गैलिस कहते थे । आप लोगों में से ज्यादातर लोग यह समझ नहीं पा रहे होंगे की गैलिस क्या चीज होती थी तो इसीलिए मैंने फोटो भी लगा दी है ।
उस जमाने में भी बहुत से लोग ऐसे होते थे जो गैलिस का इस्तेमाल नहीं करते थे तो उनके पैंट की कमर में दोनों तरफ दाहिने और बाऐं ओर पैंट को कसने के लिए खास तरह की clips होती थी ।आम भाषा में उन्हें बक्सू कहते थे । उसे कमर को कसा जा सकता था।
मैं अपने बचपन की बात कर रहा हूं सन 1950 के आसपास के समय की । वह जमाना रेडीमेड कपड़ों का नहीं था तब हर गली में हर सड़क में दर्जियों की दुकान हुआ करती थी सस्ती और महंगी और आपके पसंद के हिसाब से वह पॉकेट कर के बकसू या सस्पैंडर के लिए बटन इत्यादि बनाते थे।
गैलिस का फायदा यह था कि आजकल जिस तरह बेल्ट से कस के पैन्ट बांधने से पेट में कसाव पैदा होता है वह नहीं होता था और स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा था क्योंकि कहते हैं कि जो लोग कस के पेटी बांधते हैं उनको शरीर की कई पेट संबंधी समस्या हो सकती है । कस के बेल्ट बांधने के बाद जब आप बैठते हैं खासकर खाना खाने के लिए तब काफी समस्या पैदा हो जाती है और आप बेल्ट को ढीली करने लगते हैं । ऐसे ही दिन में बहुत देर से अगर आपने खाना ना खाया हो तो पेट पिचक जाता है और आपको बेल्ट को और कसना पड़ता है क्योंकि पेंट नीचे को खसकने लगती है । सस्पैंडर के साथ यह प्रॉब्लम नहीं था क्योंकि सस्पैंडर को कब्र में बटन में बांधकर ऊपर कंधे में ले जाया जाता था तो हमेशा पेंट करने से लटकने की वजह से सही जगह पर रहती थी और नीचे का शक्ति नहीं थी चाहे कितनी ही ढली हो
1950 की दशक में सस्पैंडर का रिवाज बहुत कम हो गया और उद्देश्य 60 के दशक तक कहीं दिखाई दे देता था।
ऑनलाइन खरीदारी अब काफी होने लगी है और फ्लिपकार्ट अमेजॉन जैसे कई ऑनलाइन सप्लायर हर तरह की चीज सही दाम पर आपको देने के लिए मौजूद है । तो एक बार फिर लोगों का ध्यान सस्पैंडर्स की तरफ जा रहा है क्योंकि यहां सही दाम में ऑनलाइन मिल जाते हैं आसानी से ।
शायद आप भी सस्पैंडर्स यानी गैलिस का इस्तेमाल करना चाहेंगे खासकर अगर आपकी घड़े जैसी तोंद है और पैंट बार-बार नीचे खिसक जाती है है जिसे ऊपर को खींचने पड़ता है।
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