Lapata ladies
आमिर खान की लापता लेडीज पिक्चर को सन 2001 के टाइम में दिखाया गया है। जिस तरह से गांव में मोबाइल फोन का इस्तेमाल दिखाया गया है उस हिसाब से पिक्चर की घटनाओं का समय सन 2008 के बाद का होना चाहिए था जब मोबाइल फोन गांव तक पहुंचने लगे थे । सन 2001 में गांव की तो बात छोड़ दो, शहरों में भी मोबाइल फोन नहीं होते थे एक दो रईसों को छोड़कर। मोबाइल फोन आम लोगों की पहुंच के बाहर था क्योंकि एक तो उसे खरीदने के लिए हजारों रुपए चाहिए होते थे और दूसरा एक मिनट की बात करने का चार्ज बहुत ही ज्यादा होता था। उस जमाने में गांव की लड़की के पास मोबाइल फोन कैसे हो सकता था।
यह प्रेस कटिंग देखिये मोबाइल फोन के बारे में
अब आगे बढ़ते हैं। गांव में गलती से जो लड़की आ गई थी दीपक की असली दुल्हन की जगह उसका नाम था जया।जया ने दीपक के गांव पहुंचने पर मोबाइल फोन का सिम कार्ड जला दिया था ताकि कोई उसको फोन ना कर सके और फिर गांव की मोबाइल की दुकान से नया सिम कार्ड खरीद के मोबाइल में लगा लिया। अब सवाल यह उठता है कि 2001 में उस गांव में ऐसी कौन सी दुकान थी जहां सिम कार्ड मिलते थे । सन 2001 में इक्के दुक्के लोगों के पास ही मोबाइल फोन होते थे और वह भी उन शहरों में जहां मोबाइल नेटवर्क होता था यानि बड़े-बड़े शहरों में। बिहार के इस गांव में मोबाइल फोन के सिम कार्ड की दुकान होना आश्चर्य की बात है।
दूसरी बात यह है कि अगर जया के पास मोबाइल फोन था भी तो गांव में तो कनेक्टिविटी थी ही नहीं 2001 में।
जया गांव में एक दुकान में जाकर देहरादून के कृषि विद्यालय का फॉर्म ऑनलाइन डाउनलोड करवाती है और उसको ऑनलाइन भर के भेज देती है। इस तरह की स्मार्टफोन वाली ऑनलाइन डाउनलोड फैसिलिटी 2001 में नहीं थी। और गांव में 2001 में ऐसा होने का तो सवाल ही नहीं उठाता।
फिलहाल दीपक के घर में रह रही थी जया। दीपक के घर के लोगों ने उससे उसके घर का फोन नंबर पूछा ताकि घरवालों को खबर कर दें पर सवाल यह उठता है की सन 2001 में बिहार के गांवों में क्या घरों में रेजिडेंशियल टेलीफोन होते थे ।
खैर जो भी हो मोबाइल फोन इस पिक्चर का अहम हिस्सा है और उसे हटाया नहीं जा सकता क्योंकि उसके बिना कुछ जरूरी घटनाएं हो ही नहीं सकती है इसलिए कहानीकार की इस छोटी सी oversight को नजरअंदाज करना जरूरी है।
पर पिक्चर में एक बात जरूर खटकती है। जया की शादी एक क्रिमिनल टाइप बहुत घटिया आदमी के साथ हो गई थी जिसके ऊपर संदेह है कि उसने अपनी पहली बीवी को जलाकर मार दिया था । इसके बारे में शायद पुलिस में कंप्लेंट भी थी। इस आदमी ने पुलिस थाने में
पुलिस इंस्पेक्टर के सामने जया को देखते ही एक जोरदार थप्पड़ मारा और धमकी दी कि घर जाकर चर्बी उतार लेंगे। उसने इंस्पेक्टर के सामने जया के मायके वालों को भी धमकी दी । इतना ही नहीं उसने पुलिस इंस्पेक्टर को भी धमकी दी कि मैं तुमको देख लूंगा।
कहानी सही तब होती जब पुलिस इंस्पेक्टर उसको जया के साथ मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने के जुर्म में फौरन गिरफ्तार कर लेता और उसके साथ आए गुंडोंको भी जेल में डाल देता। लेकर आश्चर्य की बात है
की पुलिस इंस्पेक्टर ने ऐसा नहीं किया जबकि वह काफी कड़क आदमी था। सिर्फ उससे यह कहा कि अगर जया को परेशान करने की कोशिश की तो मैं दुनिया के किसी कोने में भी हूं वहां से चलकर आऊंगा और तुमको हथकड़ी पहना दूंगा। यह बातें कमजोर तरह का तरीका था एक अपराधी तत्व के व्यक्ति से डील करने का।
ऐसे व्यक्ति से जया को और उसके परिवार वालों को जान का खतरा था।
जो भी हो लापता लेडीज एक बढ़िया पिक्चर है और इसमें कलाकारों ने जिस तरह से काम किया है वह बहुत ही सराहनीय है। थाने के दरोगा जी का भी अभिनय बहुत अच्छा है । इस किरदार को फिल्म में रवि किशन ने निभाया है जो भोजपुरी फिल्मों के एक मंजे हुए अभिनेता हैं।
ऑस्कर के लिए विश्व की सबसे बढ़िया कुछ पिक्चरों मे इस पिक्चर का नाम भी शामिल कर लिया गया है यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
पिक्चर अवश्य देखिए और इसका आनंद उठाइए।
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