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Friday 22 May 2020

ch2so4

CH2SO4

यह केमेस्ट्री भी अजीब ही सब्जेक्ट है । इसमें हर चीज का एक फार्मूला होता है और एक केमिकल होती है। मसलन आप केला नहीं खा रहे हैं।   आप  पोटेशियम खा रहे हैं। आप आंवला नहीं खा रहे हैं।  आप कैल्शियम  आयरन  और विटामिन सी खा रहे हैं ।आप नमक नहीं खा रहे हैं  आप सोडियम क्लोराइड खा रहे हैं। और तो और आप पानी भी नहीं पीते हैं आप H2O पीते हैं ।

अरे ब्रदर  ठंडे पानी  बेचने वाले के पास जाओ  और कहो मुझे H2O दे दो  तो बेचारा क्या समझेगा। सीधे-सीधे पानी क्यों नहीं कह सकते। पर नहीं  हम तो H2O ही कहेंगे । सीधी सीधी बात कहना तो साइंस डिपार्टमेंट वालों को पसंद भी नहीं। याद है आपको कि सीधी सीधी बात  कहने पर बेचारे आमिर खान को कैसे फिल्म 3 ईडियट्स में क्लास से बाहर निकाल दिया  प्रोफेसर साहब ने।

मैंने भी थोड़े समय तक केमिस्ट्री पढ़ी -- के कुमार की किताब हुआ करती थी हमारी केमिस्ट्री की , काफी रोचक किताब थी। लेकिन  केमिस्ट्री की लेबोरेटरी ने मेरी पैंट का कबाड़ा कर रखा था जगह-जगह छेद हो जाते थे ।  वहां पता नहीं क्या-क्या चीज थीं जो एक दूसरे में मिलानी पड़ती है और पेंट पर अगर छीटे गिर गए तो छेद हो जाते थे। और बरामदे में एक गैस प्लांट भी था जिससे मैं बहुत ही परेशान रहता था । उसमें हर समय एक गैस बनती रहती थी।

 खैर अपने पैंटों को बचाने के लिए केमिस्ट्री तो मैंने छोड़ दी लेकिन केमिस्ट्री लेबोरेटरी की महक मेरे दिमाग में और नाक में इस बुरी तरह घुस चुकी थी की जब मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में  पहले ही दिन अपने मित्र के साथ (जो  मेरे साथ बीए में थे) जा रहा था क्रिकेट के मैदान की तरफ तो अचानक मैंने कहा क्या यह यह दाहिने तरफ  केमिस्ट्री डिपार्टमेंट है । 

उसने कहा, है तो सही   पर तुम्हें कैसे पता चल गया ?  मैंने कहा भैया तुमको महक नहीं आ रही है क्या ? वह बोला अरे कोई चीज सड़ रही होगी उसी के महक है । पर मैं तो जानता था। मैं H2S गैस भुगत चुका था।

केमेस्ट्री तो बहुत पहले छोड़ दी लेकिन अभी कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी मौजूदगी में कभी-कभी केमिस्ट्री डिपार्टमेंट  की याद आ ही जाती है जब वह अनाप-शनाप खा कर पूरे कमरे को केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की लैब बना देते हैं।

केमिस्ट्री में एक ऐसा नायाब फार्मूला है जिसे उत्तरी भारत के केमिस्ट्री के विद्वानों के अलावा पूरे विश्व में कोई नहीं जानता है। 

 वह फार्मूला है ch2 so4। 

अब यहृ मत पूछियेगा  कि यह किस चीज का फार्मूला है।

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Wednesday 20 May 2020

श्री रुद्राष्टकम्

 आमतौर पर  श्री रामायण के रूप में जिसकी पहचान है  वह श्री रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक इतिहासिक महाग्रन्थ है जो हिंदी साहित्य की एक अनमोल महान कृति  है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है।

श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्र, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा भगवान् शिव की स्तुति हेतु रचित है। इसका उल्लेख श्री रामचरितमानस के उत्तर कांड में आता है। 

सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं।

शिव की इस स्तुति से  भक्त का मन भक्ति विभोर हो जाता है । इसके नियमित पाठ से व्यावहारिक जीवन में उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

प्रस्तुत है रुद्राष्टकम :

॥ अथ रुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपम्। विभुम् व्यापकम् ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम्। चिदाकाशमाकाशवासम् भजेऽहम् ॥१॥

निराकारमोंकारमूलम् तुरीयम्। गिराज्ञानगोतीतमीशम् गिरीशम्। करालम् महाकालकालम् कृपालम्। गुणागारसंसारपारम् नतोऽहम् ॥२॥

तुषाराद्रिसंकाशगौरम् गभीरम्। मनोभूतकोटि प्रभाश्रीशरीरम्। स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारुगंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥३॥

चलत्कुण्डलम् भ्रूसुनेत्रम् विशालम्। प्रसन्नाननम् नीलकण्ठम् दयालम्। मृगाधीश चर्माम्बरम् मुण्डमालम्। प्रियम् शंकरम् सर्वनाथम् भजामि ॥४॥

प्रचण्डम् प्रकृष्टम् प्रगल्भम् परेशम्। अखण्डम् अजम् भानुकोटिप्रकाशम्। त्रयः शूलनिर्मूलनम् शूलपाणिम्। भजेऽहम् भवानीपतिम् भावगम्यम् ॥५॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी। सदा सज्जनानन्ददाता पुरारि। चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ॥६॥

न यावद् उमानाथपादारविन्दम्। भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्। न तावत्सुखम् शान्ति सन्तापनाशम्। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥७॥

न जानामि योगम् जपम् नैव पूजाम्। नतोऽहम् सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्। जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानम्। प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥८॥

रुद्राष्टकमिदम् प्रोक्तम् विप्रेण हरतोषये। ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषाम् शम्भुः प्रसीदति॥

॥ इति श्री रुद्राष्टकम् सम्पूर्णम् ॥