Total Pageviews

Friday 13 May 2016

मच्छरदानी में आदमी

कल रात बड़ी समस्या हो गई. मच्छरदानी लगा के सो गया था पर कई बार नीद टूटी. मच्छर काट रहे थे.

होता यह है कि अक्सर हाथ पैर मच्छरदानी से चिपके रहते है और मच्छरों की बहार आ जाती है. बाहर बैठ कर मजे से खून चूसते रहते हैं फ्री फंड का.

पर जब मेरे गाल में मच्छर ने काटा तो मैं चौंका. मतलब.यह हुआ कि अंदर गैर कानूनी तौर पर कोई मच्छर है.

मैने बेड स्विच दबा कर फौरन  लाइट जलाई. देखा कि एक  मोटा मस्त मच्छर अंदर बैठा है.

क्योकि मैं गांधी जी का भक्त हूँ मैने उसे मारा नही. मैने उससे कुछ पूछना ही ठीक समझा.

" तुम अंदर क्या कर रहे हो ?" मैनें गुस्से में कहा.

वह बोला , " उस्ताद , यह मच्छरदानी है और मैं मच्छर हूँ. तुम बताओ कि तुम अंदर क्या कर रहे हो?"

मैं सोच में पड़ गया. बात तो सही कह रहा था मच्छर.

क्योकि मैं अब्राहम लिंकन का भी भक्त हूँ इस लिये बिना बहस किये चुपचाप मैं बाहर आ गया.

सोचता हूँ कि  मच्छर दानी का नाम आदमी दानी होना चाहिये ताकि कानूनी दिमाग वाले मच्छर हमे परेशान न करें.  जब साबुन दानी में सावुन होता है, चूहे दानी में चूहा होता है तो जब जाली के अंदर आदमी है तो मच्छर दानी नाम क्यो?

फिलहाल मैनें मच्छर अगरबत्ती का इस्तमाल शुरू कर दिया है.

No comments: