शिक्षा नीति क्या होनी चाहिए
हमारी शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिए की बारहवां दर्जा पास करके हम इस लायक हो जाए की अपने पैरों पर खड़े हो सके और अगर हमें नौकरी ना मिले तो हम जीवन निर्वाह के लिए अपने आप कुछ काम कर सके।
जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो एक विषय था हिस्ट्री। अब बालक या बालिका के लिए है यह क्या जरूरी है कि वह याद रखें कि क्या मोहम्मद तुगलक पागल था।।
यह भी आवश्यक नहीं है कि उसे पता होना चाहिए की मुगल साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे। इसी तरह दुनिया का इतिहास पढ़ाने पर भी सवाल उठता है। क्या हमारे लिये बचपन में यह जानना जरूरी कि फ्रांस और रूस के युद्ध में क्या हुआ था और नैपोलियन ने अपने युद्ध में क्या गलतियां की थी जिससे वह हार गया।
पर यह सब हमें पढ़ाया जाता है और इम्तिहान पास करने के लिए जरूरी है कि हमें पता होना चाहिए की तुगलक पागल था या नहीं।
इससे बड़ी बकवास क्या हो सकती है।
हमें यहां नहीं पढ़ाया जाता कि हमें किस तरह स्वस्थ रहना है या बाजार में बिकने वाली चीजों में क्या चीजें हैं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और कौन से खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए। यानी कि जीवन निर्वाह के लिए जो याद होना चाहिए स्वास्थ्य संबंधी उसके बारे में एक भी शब्द नहीं पढ़ा जाता।
अब एक दूसरा विषय ले लीजिए । वह लिटरेचर है ।चाहे वह अंग्रेजी लिटरेचर हो चाहे वह हिंदी लिटरेचर हो ।
अब इसका एक बच्चे के भविष्य से क्या ताल्लुक है ? क्या निराला की कविताओं कोई बच्चों के लिए समझना जरूरी है ? या क्या यह जरूरी समझता है कि शेली या कीट्स ने अपनी कविताओं में क्या लिखा था और क्यों लिखा । यह तो पूरा पागलपन है और एक बच्चे के साथ अन्याय है।
अब भूगोल को भी एक पूरे विषय के रूप में सेकेंडरी एजुकेशन में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की जलवायु क्या है या विश्व में कहां-कहां तेल के कुएं हैं यह जानना है एक बच्चे के लिए जरूरी नहीं है।
इस तरह के और भी विषय है जैसे मनोविज्ञान। पैवलौव ने अपने कुत्ते के ऊपर क्या एक्सपेरिमेंट किया था
और उसका क्या मतलब निकलता था इसका एक बच्चे से क्या लेना देना है ? मनोविज्ञान विषय भी हायर एजुकेशन का ही सब्जेक्ट होना चाहिए।
शिक्षा नीति जो अंग्रेजों की बनाई हुई है (और उस समय यह बहुत काम की थी) को सिर्फ ग्रेजुएशन लेवल पर ही पढ़ाया चाहिए जिन लोगों को इसमें दिलचस्पी हो और इस विषय में आगे अपना कैरियर बनाना चाहते हैं।
प्रजातंत्र का सबसे बड़ा हिस्सा होता है देश का और प्रदेश का चुनाव और जिस तरह से वातावरण बनता जा रहा है ज्यादातर नेता अपने चुनाव के बारे में ही सोचते रहते हैं कि किस तरह पब्लिक को लगाकर वोट लिया जाए और उनके पास कम समय होता है देश की समस्याओं को सुलझाने का खासकर देश की शिक्षा नीति को जो बहुत जरूरी है ।
देखना यह है कि इस तरह के सुधार कब आते हैं जिस देश का कल्याण हो।
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