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Tuesday 28 April 2020

मूक प्रश्न

" मूक प्रश्न "

एक जमाना था जब हमारा साइज बहुत छोटा हुआ करता था । तब  हम बच्चे  कहलाते थे और हाफ पैंट पहनते थे।

उस जमाने में शहर छोटे थे और मकान बड़े होते थे। सड़कों पर मोटर गाड़ियां इक्की दुक्की कभी-कभी दिखाई दे जाती थी । पेड़ों पर चिड़िया चहचहाती रहती थी और मधुमक्खी और तितलियां फूलों के ऊपर मडराती नजर आती थी।  तोते नीलकंठ कठफोड़वा  और ऐसे ही अनेक पक्षी हमेशा दिखाई देते रहते थे। आसमान साफ रहता था । हवा में ताजगी थी। रात में हजारों तारे पूरे आकाश पर छिटके पड़े रहते रहते थे और उत्तर से दक्षिण की तरफ  बीच आकाश में पूरी आकाशगंगा दिखाई देती थी।

 फिर हम बड़े हो गए । फुल पैंट पहनने लगे। शहर भी बड़े होते चले गए। शहर में आबादी बढ़ने लगी। मकान छोटे होते चले गए। गंदगी बढ़ती चली गई।

फिर धीरे धीरे आकाश में तारे दिखने बंद हो गए । घर के बाहर फूल पत्तियों के ऊपर से तितलियां और भवरे दिखाई देने भी बंद होने लगे । जो रहे सहे पेड़ बचे थे उन पर भी चिड़ियों का कोई झुंड नजर नहीं आता था।

चिड़िया परेशान। भँवरे परेशान। मधुमक्खियां परेशान। तितलिया परेशान ।आकाश परेशान । पेड़ पौधे परेशान। और इंसान अपने पूरे नशे में प्रकृति को नष्ट करने का खेल खेलता जा रहा था।

फिर एक दिन एक छोटे से कीटाणु ने जिसे आप देख भी नहीं सकते थे मनुष्य पर हमला कर दिया। मनुष्य मरने लगे । विज्ञान उनको बचाने में असफलता में धिरता नजर आया। पूरे संसार में हाहाकार मच गया। फैक्ट्रियां बंद हो गई । सड़कों पर यातायात गायब हो गया । सड़कों पर कूड़े के ढेर इकट्ठे होने बंद हो गए। सब मनुष्य जान बचाने के लिए अपने अपने घरों में बंद हो गए । कार चलनी बंद हो गई । सड़कें वीरान हो गई। काफी लोग वापस अपने गांव चले गए । मिल और फैक्ट्रियां  जो नदिया में अपना जहर उगल रही थी  वह भी बंद हो गईं।  फैक्ट्रियों से धुआं के काले गुबार निकलने बंद हो गए।

फिर धीरे-धीरे  नदियों का पानी  साफ होने लगा । फिर धीरे-धीरे आसमान साफ होने लगा। तारे फिर से दिखाई देने लगे । आकाशगंगा के भी दर्शन होने लगे । तितलियां भंवरे फिर फूलों के ऊपर वापस आने लगे । चिड़िया फिर से चहचहाने लगी ।  जिन जानवरों को  सड़क पर स्वछंद घूमने की अनुमति नहीं थी वह वापस खुली दुनिया में घूमने लगे और मनुष्य अपने घरों के अजायबघरों में बंद हो गया । 

यह खेल काफी दिनों तक चला । लाखों मनुष्य की मृत्यु हो गई । 

जब विनाश का यह दौर खत्म हुआ तब एक मूक  प्रश्न उठा। क्या हम वापस उस पुराने युग में फिर चले जाएंगे ? क्या तारे फिर से दिखने बंद हो जाएंगे? क्या भंवरे तितलियाँ  फिर प्रकृति से गायब होने लगेगी ?  चिड़ियाँ क्या फिर विनाश की ओर चली जायेंगी। 

इस सवाल का जवाब बहुत जरूरी है क्योंकि जब दोबारा मनुष्य प्रकृति के विनाश में जुट जाएगा तो फिर दोबारा जो वाइरस आएगा वो अपने साथ इंसान की प्रजाति को भी ले जाएगा . . . हमेशा के लिए । 

जैसे डाईनासोर को कभी ले गया था। 

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