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Monday, 4 July 2022

गधों की बातें

दुनिया में सबसे अच्छा बासमती चावल देहरादून का होता है और सबसे अच्छे अमरूद प्रयागराज के होते हैं । वैसे ही दुनिया में सबसे अच्छे गधे इंग्लैंड के हार्टफोर्डशायर के होते हैं । बाहर के देशों में गधे की बहुत इज्जत है । फिल्में भी बन चुकी है गधों से ऊपर

 भारत के गधों को कभी भी ज्यादा सम्मान नहीं मिला । और सच पूछे तो अपमान ही  मिला है । हम बचपन से सुनते आते हैं  "गधा कहीं का. सवाल गलत कर दिया" या "तेरे जैसा गधा नहीं देखा" ।

 इतिहासकार हमें बताते हैं कि प्राचीन मिस्र में भी गधों की बहुत इज्जत थी और आर्कियोलॉजिस्ट की खुदाई  में पता चला है कि गधों को भी दफनाया जाता था इज्जत के साथ ।  इस लिंक पर आपको काफी बातें पता चल जाएंगी ।

https://www.google.co.in/amp/s/www.downtoearth.org.in/hindistory/wildlife-biodiversity/forest/amp/world-donkey-day-read-the-interesting-history-of-donkey-64408?espv=1

भारत पर अगर  गधे की भावना कोई समझता हो तो ऐसा सिर्फ एक ही आदमी था जिसका नाम था कृष्ण चंदर । कृष्ण चंदर ने गधे पर दो किताबें लिखी - एक का नाम था  " एक गधे की आत्मकथा" और दूसरे का नाम था   "एक गधे की वापसी" । कृष्ण चंद्र जी ने इस खूबसूरती से गधे के बारे में लिखा मानो वह गधे के दिमाग में होने वाले विचारों को पढ़ रहे हो । 

गधे पर कहावते भी खूब बनी है हिंदी में । जैसे      धोबी का गधा का घर का ना घाट का  या फिर   "ऐसे गायब हो गए जैसे गधे के सिर पर सींग" । "अपने फायदे के लिए गधे को बाप बनाना" या फिर "अच्छे-अच्छे गधों को इंसान बना दिया तुम क्या चीज हो" बगैरह ।

आपको यह जान कर खुशी होगी कि 8 मई को विश्व गधा दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

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