कहते हैं कि मनुष्य अपने भाग्य से बंधा है और जन्म के समय में ग्रहों की जो स्थिति होती है उसी के हिसाब से बाकी जिंदगी होती है।
तो दिमाग तो यह बात आती है कि अगर यह बात है तो फिर गधे की भी कुंडली होती है मच्छर की भी होती है और चिड़िया की भी होती है । यह बात अलग है कि हम वह कुंडली बना नहीं सकते क्योंकि हमें उनकी जन्म समय पता नहीं है ।
पर उनके जन्म के समय जो ग्रह स्थिति है उसका असर तो उन पर होगा ही ।
इस बात को अब मैं मानने लगा हूं क्योंकि कभी-कभी ऐसा होता है कि रात में सोते समय मच्छरदानी के अंदर एक मच्छर दिखाई दें गया और पट्ट से मारा गया और कभी कभी ऐसा होता है कि एक मच्छर दिखाई तो दिया लेकिन 10 मिनट की लगातार कोशिश के बावजूद भी बचता चला गया और फिर कहीं छुप गया चादर के नीचे या गद्दे के पीछे या कहीं पर और जब मैं सो गया तो तो बाहर निकल कर आया और मुझे खूब काटा। सोचने वाली बात यह है कि मच्छरदानी के अंदर होनेेेेेेे के बावजूद मैं मच्छर से बच नहीं सका।साफ दिखाई देता है कि ऐसा मच्छर राजयोग में पैदा हुआ होगा।
बाकी जानवरों में भी यह बात साफ दिखाई देती है। एक कुत्ता गली में मारा मारा फिरता है भोजन की तलाश में । आखिर में वह नगर पालिका की कुत्ता पकड़ पार्टी के हाथ से मारा जाता है और एक दूसरा कुत्ता बॉलीवुड की एक सुंदर अभिनेत्री के घर में पूरे ऐशो आराम के साथ रह रहा होता है और उसकी देखभाल के लिए और भोजन व्यवस्था के लिए सब तरह के बढ़िया इंतजाम होते हैं ।
ऐसा ही हाल घोड़ों में भी है। कोई घोड़ा तांगे में बंधा होता है और मुश्किल से उसे घास नसीब होती है और दूसरा डर्बी की रेस में दौड़ने वाला करोड़ों रुपए की कीमत का घोड़ा होता है जिसकी देखरेख में हर महीने लाखों रुपए खर्च होते हैं।
पर एक बात समझ में नहीं आई। यह कहावत किस ने बना दी कि हर कुत्ते के दिन होते हैं ?
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