खुल जा सिम सिम
बचपन में कहानी पढ़ने का बहुत शौक था उसे जमाने में टेलीविजन तो मैं था नहीं और इंटरनेट का तो सवाल ही नहीं उठाता कोई सोच ही नहीं सकता था की मोबाइल फोन क्या होता है और क्या चमत्कार कर सकता है।
तो कहानी पढ़ने के लिए मैगजीन हुआ करती थीं जैसे चंदा मामा मनमोहन वगैरा। तो एक कहानी पड़ी अलीबाबा और 40 कर की। पढ़कर मजा आ गया। उसमें सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह थी की गुफा के सामने खड़े होकर जो व्यक्ति भी खुल जा सिम सिम कहता था तो गुफा का पत्थर का भारी दरवाजा अपने आप सरकने लगता था और खुल जाता था। एक तिलस्म में वाली लंबी कहानी की किताब भी पढ़ी जिसमें तरह-तरह के चमत्कार तिलस्म के द्वारा होते थे। दीवाल को एक जगह छूं दिया तो अंधेरे कमरे में उजाला हो जाता था दूसरी जगह जाकर दीवाल के कोने में हाथ हिलाया तो दीवाल वैसे पानी निकालने लगता था।
बहुत आश्चर्य होता था यह सब पढ़कर पर कभी सोचा नहीं था की विज्ञान के द्वारा मेरे ही जीवन काल में ऐसा वास्तव में हो सकता है।
यह तो पुरानी बात हो गई अब 21वीं सदी की बात करें।
कुछ साल पहले लखनऊ के एक आधुनिक अस्पताल में जाना हुआ किसी को देखने। बाहर निकलते समय अस्पताल में एक रेस्टोरेंट दिखा तो सोचा कुछ खा ले ।भूख तो लग ही रही थी। अंदर आया और बेसिन में हाथ धोने के लिए हाथ को साबुन से मला और फिर बेसन के नल की टोंटी खोलने के लिए नजर डाली तो वहां कोई टोटी थी ही नहीं। सिर्फ पानी निकालने वाला नल था। पीछे बैरा जा रहा था तो उससे कहा भाई यह नल में पानी खोलने के लिए टोटी नहीं है पानी कैसे निकलेगा। उसने कहा नल के नीचे हाथ लगाइए अपने आप पानी आने लगेगा। और मैं जैसे ही नल के नीचे हाथ रखा पानी चालू हो गया और हाथ धोने के बाद हाथ हटाया तो पानी बंद हो गया।
21वीं सदी में बहुत से चमत्कार हो रहे हैं। आप अपने मोबाइल फोन के कीबोर्ड पर लिखता है हैप्पी न्यू ईयर और एक बटन दबाते हैं और व्हाट्सएप में उसी समय आपका यह संदेश हजारों मील दूर ऑस्ट्रेलिया में आपके मित्र के मोबाइल फोन पर आ जाता है।
वैसे देखा जाए तो बहुत से चमत्कार पिछले 200 साल से हो ही रहे हैं। पुराने जमाने में पोर्ट्रेट यानी अपनी तस्वीर बड़े-बड़े रईस लोग चित्रकारों से पेंट करवाते थे काफी पैसा देकर। आम आदमी के लिए यह संभव नहीं था। एक 50 साल का आदमी
याह नहीं जान सकाफघभता था की 5 साल की उम्र में वह कैसा लगता था।
फिर कैमरा का आविष्कार हुआ और बाद में वीडियो कैमरे का। अब तो आप देख सकते हैं बचपन से लेकर बुढ़ापे तक की अपनी फोटो। और बड़े-बड़े राजनेता या फिल्म कलाकार की तो डॉक्युमेंट्री या चलचित्र की फिल्में बन जाती है जो 100 साल बाद भी देखी जा सकती है। इसी तरह आवाज की रिकॉर्डिंग का भी आविष्कार हुआ और आप 100 साल पुरानी आवाज रिकॉर्ड की हुई सुन सकते हैं।
भविष्य में क्या होगा यह तो कहना मुश्किल है। पर यह तो निश्चित है की तिलस्म की कहानियों में आज से 100 साल पहले लिखा जाता था उससे ज्यादा हो चुका है और आगे और भी चमत्कार होने बाकी है।
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