एक ज़माना था जब नदी के ऊपर पुल बनते थे और सौ साल बाद भी मजबूती से अपना काम करते रहते थे । उस जमाने की बनी सड़कें कई दशक तक खराब नहीं होती थी। आजकल सड़क बनती है और कुछ महीने बाद गड्ढों से भर जाती है। पुल बनते हैं और कुछ ही समय बाद टूट जा रहा है। पैसा तो बर्बाद होता है । जान माल का भी नुकसान काफी होता है। आज से पचास साल पहले बने स्कूटर, फ्रिज, पंखे वगैरह आज भी सही चल रहे है। आजकल की बनी चीजें जल्दी खराब हो रहीं हैं।
संसार में बेईमान लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर आदमी पैसा कमाने में लगा हुआ है। कुछ सही तरीके से पैसा कमा रहे हैं और ज्यादातर लोग भ्रष्ट्र तरीका से। बीमारी तेजी से फैल रही है।
कल यू ट्यूब में एक वीडियो देखा। एक आदमी एक छोटी सी आधी भरी बाल्टी में कच्चे हरे केले डालता है। पांच मिनट बाद जब वह उन्हें निकलता है तो वे पीले पके केले हो जाते हैं। यही साफ सुथरे दिखने वाले केले जिनमे कोई काले चित्ती वाले दाग नहीं होते, बाजार में खूब बिकते हैं। इन्हे पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो स्वास्थ के लिए बहुत ही हानिकारक है।
ज्यादा साफ चमकीले होने की वजह से इनकी बिक्री भी ज्यादा होती है। ऐसा ज्यादातर फलों और सब्जियों में हो रहा है।
अभी खबर आई थी की मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से बहुत से बच्चों की मौत हो गई है। इस सिरप में कुछ ऐसे केमिकल मिला रखे हैं जो की मशीन की सफाई के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और जिनको खाने से मनुष्य के ऊपर घातक प्रभाव होता है।
ऐसा क्यों है जब कि फैक्ट्री की जांच करने के बाद ही लाइसेंस दिया जाता है और चेकिंग करने के लिए इंस्पेक्टर भी होते हैं। इस सब के बावजूद भी दवाइयां में जहर मिलाया जा रहा है तो कहीं न कहीं तो सिस्टम में गड़बड़ अवश्य है , या तो लापरवाही की वजह से या फिर भ्रष्टाचार की वजह से। जांच करने वाली एजेंसी भी सोई हुई सी लगती हैं ।
ऐसा भी होता है कि जब कोई दवाई बेचने वाली कंपनी बहुत ही प्रसिद्ध हो जाती है और उसकी दवाइयां पर जनता का 100% विश्वास हो जाता है तो उसी कंपनी की इस तरह की पैकिंग में नकली दवाइयां बनने लगती है इसी ब्रांड नाम की और इसे उन केमिस्टों के द्वारा बेचा जाता है जो ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं । इनकी भी पकड़ धकड़ की आवश्यकता है।
एक समस्या यह भी है की अगर किसी को पकड़ा भी गया तो वह न्यायालय में चला जाता है और बेल पर बाहर निकाल जाता है वकील की मदद से। फिर सालों साल तक मुकदमा चलता रहता है और वह बाहर अपना काम करता रहता है। इस तरह के मुकद्दमों के लिए तो fast track courts होने चाहिए जो बहुत जल्दी रोजाना इस पर सुनवाई करें और अपराध सिद्ध होने पर दोषी व्यक्तियों को homicide ke अपराध की कड़ी सज़ा दें।
और भी बहत कुछ हो रहा है। ग्वाले गाय भैंस को ऑक्सीटॉसिन नाम के केमिकल के इंजेक्शन लगाते रहते है रोजाना और फिर यह केमिकल हमारे पीने वाले दूध में आ जाता है जिससे स्वस्थ को नुकसान होता है। खाने पीने के सामान में केमिकल्स मिलाए जा रहे हैं मुनाफे के लिए।
घरों में मीटर लगे हैं पर कुछ लाइनमैन सीधे खंबे से बिना मीटर के लाइन देकर लोगों को मुफ्त की बिजली बांटते हैं और पैसे कमाते हैं। दफ्तरों में कुछ भ्रष्ट लोग फाइलें दबा कर बैठ जाया करते हैं जब तक उनकी चाय पानी का इंतजाम न हो जाए। ऐसा भी सुनने मैं आता है कि सरकार जो पैसे गरीबों की मदद के लिए देती है उसका बड़ा हिस्सा पैसे बाटने के टाइम पर हड़प कर लेते हैं बिचौलिए।
उदाहरण देते रहने का अंत आसानी से नहीं होगा इतना व्यापक होता जा रहा है भ्रष्टाचार । यही देश की प्रगति मैं बाधा बनता जा रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो देश का क्या होगा?
किसी ने कहा भी है की
बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है, हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा ?
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