आलू और क्रिस्टोफर कोलंबस
छठी क्लास की हिस्ट्री की किताब में आपने कोलंबस का नाम तो सुना ही होगा। यह वही आदमी है जिसकी वजह से आज यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका और कनाडा जैसे देश मौजूद है। यह योरप का निवासी था ।इसका शेर का दिल था। समुद्र में निकल पड़ा तूफानों को झेलता हुआ भारत की खोज करने । पर जहाज भारत जाने की जगह पहुंच गया अमेरिका के पूर्वी तट पर अटलांटिक को पार करता हुआ। और उसने समझा कि भारतवर्ष आ गया है ।
उसके बाद तो हजारों लोग अटलांटिक पार कर उधर पहुंचे - यूरोप से । और अमेरिका को गोरी चमड़े वालों का देश बना दिया।
हां तो उसी अमेरिका में किसी जमाने में आलू हुआ करता था बाकी दुनिया में जिस को पुरानी दुनिया कहा जाता था कहीं आलू पैदा नहीं होता था। मतलब आप जो आलू की टिक्की खा रहे हैं या आलू के पराठे यह सब कोलंबस की ही मेहरबानी है।
हुआ यह कि कोलंबस के बाद यूरोप के देशों वाले और खासकर स्पेन वाले भी अमेरिका आ धमके और दक्षिणी अमेरिका भी पहुंच गए । वहां पेरू और बोलीविया मैं उन्होंने आलू की खेती देखी और आलू के बीज लेकर वापस आ गए। फिर तो पूरे विश्व में आलू की खेती होने लगी।
इसका मतलब आप समझ रहे हैं कि नहीं ? मतलब यह हुआ कीजिए आप रोज जो आलू गोभी , आलू मटर , आलू बैगन की सब्जी खाया करते हैं वह 16 वीं सदी के पहले कोई नहीं खाता था। सम्राट अशोक को नहीं पता था कि आलू के पराठे का क्या स्वाद है न चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को। अमेरिका को छोड़कर आलू के बारे में बाकी संसार को कुछ पता ही नहीं था 16 वीं सदी तक।
जाते जाते एक बात बता दूं । भारत और मेक्सिको की कई खाने पीने की चीजें एक जैसी है । शायद प्राचीन काल में कोई संबंध रहा हो । हम लोग जो रोटी खाते हैं वही रोटी वह भी खाते हैं उसी तरह की पर उसे टॉर्टिला कहते हैं ।
और भी कई चीजें हैं मेक्सिको के बारे में पर उन्हें बाद में बताऊंगा।
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