Total Pageviews

Sunday 16 April 2023

खतरे की घंटी

पता नहीं कब मनुष्य को पता चल गया की जमीन के नीचे भी पानी है फिर उसने जमीन के नीचे के पानी के उपयोग के लिए कुएं खोदने शुरू कर दिए। 

बाद में जब हैंडपंप का अविष्कार हुआ तो मनुष्य ने जमीन के नीचे पाइप डालकर हैंडपंप से पानी निकालना शुरू कर दिया। कम मात्रा में घर में उपयोग के लिए पानी निकालने का अच्छा साधन था पर बड़ी मात्रा में पानी निकालना मेहनत का काम था।

बीसवीं सदी के शुरू में हैंडपंप काफी शहरों में दिखाई देने लगे थे , घर घर में और यही परिवार के पानी की जरूरतों को पूरा करने का तरीका होता था क्योंकि नगरपालिका का  पाइप से पानी सप्लाई करने का सिस्टम बहुत ही कम शहरों में था।

यहां तक तो सब ठीक था पर जब बिजली से चलने वाले शक्तिशाली मोटर का उपयोग करके जमीन के नीचे से पानी निकालना शुरू हुआ तो बहुत ही अधिक मात्रा में बहुत तेजी से जमीन के नीचे से पानी निकलने लगा। तब लोग बड़ी मात्रा में खेती के लिए भी पानी निकालने लगे। यहीं से मनुष्य के लिए मुसीबत शुरू होने लगी।

आमतौर पर जमीन के नीचे के पानी की सतह कम हो जाने पर बरसात में जमीन के नीचे पानी जाने से काफी हद तक पानी का लेवल मेंटेन रहता था पर जब बड़े-बड़े शक्तिशाली बिजली से चलने वाले पंप से खेती के लिए बहुत ही अधिक मात्रा में पानी निकलने लगा तो बहुत तेजी से जमीन के नीचे के पानी की सतह गिरने लगी। काफी समय तक लोगों को कुछ पता नहीं चला कि नीचे पानी की सतह गायब होती जा रही है पर इसका असर धीरे-धीरे   दिखाई देने लगा।  फरीदाबाद में बीसवीं सदी के अंत तक प्रसिद्ध बड़खल झील बिल्कुल सूख गई। बहुत से पेड़ जिनकी जड़ें बहुत गहरी नहीं थी वह भी पानी की सतह गिर जाने से सूख गए और धीरे-धीरे जमीन बंजर होने लगी । अब हाल यह है कि पंजाब में जहां जमीन के नीचे से अत्यधिक मात्रा में पानी निकालकर चावल पैदा किया जाता था वहां की  उपजाऊ जमीन बंजर हो गई।

 जब जमीन की सतह का पानी बहुत ही नीचे चला जाएगा तो वह जगह अंततः  रेगिस्तान में परिवर्तित हो जाएगी।

एक और समस्या आती है जिसकी तरफ अभी अधिक ध्यान नहीं गया है मनुष्य का और वह समस्या है कि  पानी की सतह के ऊपर ही जमीन का ऊपरी मिट्टी और चट्टानों वाला हिस्सा टिका हुआ है जिस पर मनुष्य खेती करता है मकान बनाता है और जीवन व्यतीत करता है
उसके गायब हो जाने से धीरे-धीरे जमीन नीचे को बैठने लगती है और यह कई जगह होना शुरू हो गया है। 
जकार्ता जैसे बड़े शहर का बहुत अधिक भाग धीरे-धीरे समुद्र निगल रहा है क्योंकि जमीन की सतह नीचे को चली गई है। कई जगह अचानक जमीन नीचे को धस गई और सड़क का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया। अमेरिका में तो पिछले साल एक बहुत विशालकाय बहुमंजिला इमारत अचानक कुछ ही सेकंड में जमीन के अंदर गायब हो गई । इस को लैंड सब्सिडेंस
के नाम से जाना जाता है और यह धीरे-धीरे पूरे विश्व में बहुत तेजी से होने वाली घटना है

आजकल एक नया शब्द इस्तेमाल किया जा रहा है और वह है वाटर हार्वेस्टिंग यानी पानी को दोबारा जमीन के नीचे डालने के लिए विशेष अभियान। इसके तहत बहुत से शहरों में मकान बनाने की इजाजत तभी दी जाती है जब वहां पर वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए भी बरसात मैं पानी को इकट्ठा करके  जमीन की गहराइयों में पाइप द्वारा डालने का इंतजाम हो। मजे की बात तो यह है कि एक तरफ आप वाटर हार्वेस्टिंग की बात करते हैं और दूसरी तरफ पूरे शहर को आप कोलतार या सीमेंट से ढक देते हैं जरा सी भी घास या खुली जमीन नहीं छोड़ते हैं जहां से एक समय में बरसात का पानी जमीन के अंदर सोखता जाता था। अब जब भी बरसात होती है तो शहर का पूरा का पूरा पानी शहर की जमीन में नहीं सोखता है और  बह कर नदी में चला जाता है और वहां से समुद्र में क्योकि जिस  जमीन के अंदर  पानी एक जमाने में सोख कर पानी की सतह को ठीक करता था उस जमीन में अंदर जाने वाले  मैदान या कच्ची सड़कें अब सीमेंट या कोलतार से या टाइल्स से पूरी तरह ढक दी गई हैं। 

आज से 50 साल बाद कुछ बड़े शहर पूरी तरह से टीवी के अंदर तक जाएंगे जमीन के नीचे बैठने की वजह से और देश का नक्शा बदल जाएगा बाकी मनुष्य में अभी समझ नहीं आई है प्रकृति के नियमों के साथ खिलवाड़ करता अपने लिए मुसीबत मोल देना है।

***

No comments: