नाम में क्या रखा है
बच्चे बहुत शरारती होते हैं बचपन में हम लोग बड़े लोगों के स्वभाव और पर्सनालिटी के आधार पर अक्सर उनके लिए कोईबनाम रख देते हैं। कभी-कभी उन दिनों के रखे हुए नाम की याद आती है तो बहुत हंसी आती है।
मेरे क्लास में एक लड़का पढ़ता था वह इतना काला और चमकीला था कि स्कूल में अलग दिखाई देता था। हमारी क्लास के लड़कों ने उसका नाम cobra boot polish dark tan रख दिया था। एक मास्टर जी थे गणित के, जो बहुत छोटे साइज के और गोल मटोल से थे और लुढ़कते हुए चलते थे, तो उनका नाम डनलप मास्टर रख दिया था।
हमारे घर के बाहर की तरफ का एक बड़ा कमरा मेहमानों का कमरा होता था। होता यह था कि हमारे दादाजी गांव से किसी को भी हमारे शहर में भेज देते थे नौकरी की तलाश में और जब तक उसकी नौकरी नहीं लग जाती थी और रहने के लिए जगह नहीं मिल जाती थी तब तक हमारे ही गैस्ट रूम में रहता था। तरह-तरह के लोग वहां जाकर रहे जिनमें से कुछ लोगों का नाम हम लोगों ने रख दिया था। एक बहुत लंबा दुबला पतला मेहमान था जिसका नाम लमपूछया पांडे पड़ गया था। एक दूसरा पांडे था जिसका मिजाज थोड़ा गर्म था तो उसका नाम गुर्री पांडे रख दिया गया था। इसी तरह एक और सज्जन थे जो इतने पतले लंबे और छड़ी की तरह सीधे थे कि उनका नाम खंबा रख दिया गया था। एक सज्जन साल भर तक रहे और बहुत रहस्यमई तरीके से इधर से उधर जाते दिखाई देते थे तो उनका नाम नेवला पड़ गया।
बात सिर्फ हमारे बचपन की या घर की नहीं है थोड़े बड़े होकर जब यूनिवर्सिटी में गए तो हॉस्टल में भी देखा कि लड़कों के नाम पड़ रहे हैं। मुझे पता नहीं है पर मेरा भी जरूर कोई नाम पड़ा होगा। एक लड़का था जिसके नाक के नथुने बहुत ही चौड़े थे और नाक भी बहुत बड़ी थी। उसका नाम रखा गया था भैंस। उसके बगल के कमरे में एक छोटे से कद और छोटी-छोटी आंखों वाला लड़का था जिसकी आंखें बहुत चंचल थी इधर से उधर घूमती रहती थी उसका नाम रखा गया था कबूतर। एक और सीनियर स्टूडेंट था जो ऊपर की मंजिल के कोने के कमरे में रहता था। उसकी शक्ल कुछ इस तरह की थी कि उसका नाम बुलडॉग पड़ गया। हॉस्टल में 2 साल रहने के बाद एक नया लड़का हॉस्टल में आया जिनका कद 6 फुट 4 इंच था दुबला पतला था। उसका नाम भाई लोगों ने ICBM रख दिया था।
ऐसे भी कई नाम है जो उनकी अपनी भाषा में तो सही है पर हिंदी में ऐसे नाम देखकर अगर आपको हंसी आ जाती है तो गलत नहीं है। आपकी भाषा में उसका कुछ और मतलब होता है। लोगों का नाम अपनी भाषा में अच्छा होता होगा पर उत्तरी भारत में इन डॉक्टर साहिब का बोर्ड बड़ा अटपटा लगता है।
***