एक विज्ञापन बहुत पहले आया था । शायद वाशिंग पाउडर का था जिसमें एक आदमी कहता है उसकी कमीज मेरी कमीज से ज्यादा सफेद क्यों।
सारी दुनिया इसी मानसिकता पर जी रही है ।अगर दूसरे के पास मुझसे ज्यादा है तो जिंदगी भर मैं कुढ़ता रहूंगा चाहे मेरे पास कितने ही सुख सुविधा हो।
अंग्रेजी में कहावत है count your blessings। मतलब यह है कि ऊपर वाले ने जो आपको दिया है उसको देखिए । यह मत देखिए कि दूसरे को क्या दिया है। अपने से गरीब आदमी को देखिए जिसको खाना नसीब नहीं हो रहा है और आपके पास तो एक स्कूटर भी है फिर भी आप अपने किस्मत को रो रहे हैं
कभी आपने यह सोचा है कि आप कितने किस्मत वाले हैं ॽ
मानव सभ्यता के शुरू में मनुष्य जंगल में रहता था। चारों तरफ जंगल ही जंगल थे । खतरनाक जानवर पूरे जंगल में घूमते रहते थे शिकार की तलाश में। आजकल की तरह मनुष्य मकान मे नहीं रहता था। उसके पास कपड़े भी नहीं थे । नंगा घूमता था। सुबह से शाम तक खाने की तलाश में रहता था। अपने को जंगली जंगली जानवरों से दिन भर बचाता रहता था। उसे रात में सोने के लिए स्थान ढूंढना पड़ता था सुरक्षित किसी गुफा में या पेड़ के ऊपर।
भोजन की बड़ी समस्या होती थी। सुबह से शाम तक भोजन ढूंढना पड़ता था। किसी पेड़ का फल तोड़कर खा लिया किसी पौधे की जड़ को खा लिया। या फिर अपने से कमजोर जानवर को मार कर खा लिया। आजकल की तरह किसी रेस्टोरेंट में जाकर दाल चावल रोटी का आर्डर नही दे सकता था । बंद कमरे में सुरक्षित होकर चारपाई पर कंबल ओढ़ के सो नहीं सकता था। बीमार होने के बाद उसके पास कोई दवाई नहीं थी कि एक गोली खाई और पानी पी लिया और फायदा हो गया। इस बात पर मनन कीजिए और समझने की कोशिश कीजिए। 21वीं सदी में आप जितने भाग्यवान है उतना मानव जाति में पहले कभी कोई नहीं हुआ था।
ताली बजाने से बहुत से कम हो जाते थे। आज यथार्थ में यह सब हो रहा है। और आगे क्या होना है इसकी तो कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत तेजी से विकसित हो रही है। 21वीं सदी के शुरू में ही इंटरनेट ने पूरी दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। आप मोबाइल का बटन दबाकर कोई भी फोटो एक सेकंड में दुनिया के किसी कोने में भी भेज सकते हैं । आप दुनिया के दूसरे छोर में रहने वालों से बातचीत कर सकते हैं। आप घर में ही बैठकर मोबाइल के बटन दबाकर बाजार से बहुत कुछ खरीद सकते हैं और बटन दबाकर अपने बैक के अकाउंट से पैसे निकाल कर payment सकते हैं ।
तो जरा सोचिए कि हम आदि मानव से कितने आगे आ चुके हैं और जीवन के सब सुख सुविधा दुनिया के करीब करीब सभी लोगों को उपलब्ध है।
समस्या यह है कि मनुष्य ने विज्ञान में अपनी सुख सुविधाओं के लिए तो बहुत ही अधिक प्रगति कर ली है पर उसके मानसिक विकास के बारे में विज्ञान ने कुछ नहीं किया है। आज से हजारों साल पहले जो मानसिकता थी वही मानसिकता आज भी है। शायद मानसिक रूप से और भी ज्यादा गिर गया है।
यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इतनी अधिक सुख सुविधा होने के बावजूद भी आज भी वह सोचता है कि दूसरे की कमीज उसकी कमीज से ज्यादा सफेद क्यों है।
विज्ञान की प्रगति तो हुई है पर मनुष्य अच्छा कैसे हो सकता है इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है।
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