टेलीविजन तब और अब
एक ज़माना था जब टीवी का मतलब दूरदर्शन हुआ करता था। सिर्फ एक चैनल। ह्ल्के फुल्के विज्ञापन।
तब छत पर टी०वी० का एन्टिना होता था।हम लोग छत पर जाकर टेलीविजन का एनटीना ठीक करते थे ताकि programme साफ साफ दिखाई दे। फिर नीचे आ कर सभी प्रोग्राम देखते थे. . . एडवर्टाइजमेंट को भी नहीं छोड़ते थे।
उस जमाने में जो विज्ञापन आते थे उनकी बात ही कुछ और थी। उनको देखकर मजा आता था . . उनको काफी दिनों तक याद भी करते थे हम।
आज हम उन्ही विज्ञापनों की बात करेंगे।
80s के दशक में शाहिद कपूर और आयशा टाकिया दोनों का ही बचपन था । तब एक एडवर्टाइजमेंट आया था। शायद आपको याद होगा यदि आप उस जमाने के हैं । शाहिद कपूर और आयशा टाकिया के हाथ में प्याले है और दोनों कुछ पी रहे हैं। फिर एक साथ हाथ ऊपर उठाकर दोनों कहते हैं "आई एम ए कौम प्लान बौय . . . . आई एम ए कॉम प्लानगर्ल " यह ad काफी पॉपुलर हुआ था।
उसी ज़माने में फिर एक और विज्ञापन आता था . . . "आई लव यू रसना" . . . छोटी बच्ची हुआ करती थी जो यह कहती थी । अब तो ज़माना बीत गया और उस बच्ची के बाल अब सफेद होने लगे हैं ! सुना है कि वह आजकल नागपुर मे रहती है।
उसी जमाने में अमजद खान भी एक विज्ञापन में आए थे । तब तक वह गब्बर सिंह के रूप में काफी फेमस हो चुके थे । इस विज्ञापन में वह अपना हाथ का ढाई किलो का पंजा ऊपर उठाते हैं और हाथ मे एक बिस्किट का एक पैकेट होता है। "गब्बर की असली पसंद" और वह विज्ञापन था "ग्लूकोज डी" बिस्किट का । . . . अब तो दोनों ही नजर नहीं आते हैं . . . .
एक और विज्ञापन था काफी इंटरेस्टिंग . . . एक स्मार्ट आदमी एक रेस्तरां में एक टेबल पे बैठा हुआ है और सामने वाली टेबल पर खूबसूरत सी युवती बैठी है। युवती ने अपना एक हाथ कान के पास रखा हुआ है । वह व्यक्ति उस की तरफ देखता है तो वह मुस्कुराती है और कहती है "हेलो ! आज शाम को आप क्या कर रहे हैं " । वह तो बहुत प्रसन्न हो जाता है . . . अपनी टेबल से उठता है और उसकी टेबल के पास आकर खड़ा हो जाता है . . . उसकी तरफ देखने लगता है । असल में वह लड़की अपने Ericsson मोबाइल फोन में बात कर रही होती है अपनी एक दोस्त से । वह उस आदमी को सामने खड़ा देखकर होटल का बेरा समझती है और कहती है " एक ब्लैक कॉफी ले आओ "। इसके बाद उस आदमी का चेहरा देखने लायक था।
उस जमाने में ललिता जी भी बहुत प्रसिद्ध हो गई थी। चमकदार सफेद रंग की कॉटन की साड़ी जिस पर नीले रंग का प्रिंट था उसे पहनकर वह बाजार में सड़क के किनारे सब्जियां खरीद रही थी । उस खरीददारी के दौरान वह लोगों को बताती है कि अच्छी चीज और सस्ती चीज में फर्क होता है और सर्फ की खरीददारी में ही समझदारी है. . .
ललिता जी के सर्फ को टक्कर देने के लिए निरमा ने एक बहुत अच्छा विज्ञापन लगाया था जिसमें एक ट्यून और एक गाना था एक छोटी बच्ची सुंदर सा फ्रॉक पहने हुए डांस करती थी और एक ट्यून बजती थी . . . " दूध सी सफेदी . . . .कपड़ों में लाए. . . रंगीन कपड़े भी . . . खिल खिल जाए . . . .सबकी पसंद निरमा. . . . वाशिंग पाउडर निरमा।
आपको एक और विज्ञापन की याद दिलाता हूं जो आप शायद भूल गए होंगे। यह बजाज बल्ब का था . . . एक बूढ़ा आदमी कहता है " . . जब मैं छोटा बच्चा था . . . . बड़ी शरारत करता था. . . . मेरी चोरी पकड़ी जाती . . .जब रोशन होता बजाज. . ." यह विज्ञापन भी बहुत पॉपुलर हुआ था।
एक और विज्ञापन काफी पॉपुलर हुआ था। यह शम्मी कपूर और अशोक कुमार का था। यह तो पूरा याद है:
पत्नी: सुनिए लड़के के माँ-बाप आए हैं
अशोककुमार: अरे! आईये, आईये!
(अशोक कुमार के चेहरे पर घबराहट)
शम्मी कपूर: घबराईये नहीं, हमें कुछ नहीं चाहिए! हम तो बस इतना चाहते हैं कि आप बारातियों का स्वागत… पान पराग से कीजिए!
अशोक कुमार: ओहो, पान पराग! हमें क्या मालूम कि आप भी पान पराग के शौकीन हैं!… ये लीजिए पान पराग!
उस जमाने में हम सभी विज्ञापन देखते थे। कोई विज्ञापन छोड़ते नहीं थे। और अब ऐसा जमाना आ गया है कि विज्ञापनों से चिढ़ हो गई है और विज्ञापन आते ही चैनल चेंज कर देते हैं।
किसी ने सही ही कहा है अति सर्वत्र वर्जित है यानी Excess of anything is bad. अब तो TV में प्रोग्राम से ज्यादा विज्ञापन आते हैं और ऐसा लगता है कि हम वहां सिर्फ विज्ञापन देखने के लिये बैठे है।
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