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Monday, 18 November 2019

राम जेठामलानी और नानावती कांड

नानावती कांड और ब्लिट्ज का धमाका


 अब से कोई साठ साल पहले1959 में नानावती के केस ने  (google search The Nanavati Case) पूरे विश्व में सनसनी फैला दी थी और BLITZ नाम के साप्ताहिक पेपर को भारत का सबसे ज्यादा बिकने वाला पेपर बना दिया था। 


नानावती भारतीय नौसेना के एक कमांडर थे जो अपनी ब्रिटिश पत्नी और बच्चों के साथ बंबई (अब मुंबई) में रहते थे और अपनी ड्यूटी के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते थे। उनकी गैरहाजरी के दौरान उनकी पत्नी सिल्विया  अहूजा के प्रेम पाश में फंस गईं थी। 

जब नानावती वापस घर आते हैं और अपनी पत्नी को बहुत उदास पाते हैं तो काफी पूछताछ करने पर उन्हें पता चलता है उनकी पत्नी और आहूजा के  बीच संबंधों के बारे में। 

उस शाम को नानावती का अपने परिवार के साथ किसी फिल्म को देखने  जाने का प्रोग्राम था । वह अपने बच्चों और पत्नी को सिनेमा हॉल छोड़ जाते हैं और खुद सीधे  अपने दफ्तर  जाते हैं, एक पिस्टल अपने नाम issue कराते हैं और फिर सीधे प्रेम आहूजा के दफ्तर पहुंच जाते हैं।

वहां पता चलता है कि  प्रेम आहूजा घर पर ही है। नानावती उनके घर पर पहुंच जाते हैं । कहा जाता है के अंदर घुसते पर उन्होंने देखा कि आहूजा तौलिया लपेटकर बाथरूम से निकल रहे हैं। उन्होंने आहूजा से पूछा की क्या वे सिलविया से शादी करने के लिए तैयार है। आहूजा का जवाब था कि वह हर उस लड़की से शादी नहीं कर सकते जिनके साथ उनका अफेयर है। 
आपस में बहस होती है दोनों की। फिर गोलियों की आवाज से वह इलाका गूंज उठता है। प्रेम आहूजा मर जाता हैं।

वहां से वह सीधे पुलिस की डिप्टी कमिश्नर के पास जाते हैं और अपना अपराध कबूल करके अपने को पुलिस के हवाले कर देते हैं। 

फिर मुंबई की अदालत में नानावती के ऊपर केस चलता है। 

साप्ताहिक मैगजीन Blitz इस  केस को लेकर काफी विस्तार से रिपोर्ट देती रहती है। इस केस पर पूरे देश में सनसनी मची थी इसलिए विस्तृत रिपोर्ट देने के कारण इस दौरान Blitz की साप्ताहिक प्रतिया मुश्किल से मिल पाती हैं और एक-एक कॉपी जो  25 पैसे की हुआ करती थी दो दो रुपए में बिकती है!
  

 फिर Jury trial हुआ (उन दिनों Jury trial होता था) । नानावती को  jury ने निर्दोष बताया और उन्हे बरी कर दिया जाता है।

आहूजा की बहन  नानावती के खिलाफ अब उच्च न्यायालय में case ले जाती है और legal team मे राम जेठमलानी होते हैं। high court  में  नानावती को life imprisonment की सजा मिलती है। 



तीन साल जेल में काटने के बाद बंबई के गवर्नर के स्पेशल powers के आधार पर नानावती की बाकी सजा माफ कर दी जाती है और वह अपने परिवार के साथ हमेशा के लिए कनाडा चले जाते हैं। 

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