फिल्में काफी लंबी होती है । पिक्चर हॉल के अंदर 3 घंटे तक पिक्चर देखने वाला इंसान बोर हो जाता है डायलॉगबाजी से और ड्रामा से। ऐसे में आवश्यक होता है कि फिल्म में कुछ ऐसी स्थिति लाई जाए कि वह थोड़ा सा फर्क महसूस कर सकें थोड़ा हंस सके थोड़ा रिलैक्स हो सके । ऐसे में एक विदूषक यानी कॉमेडियन की बहुत जरूरत होती है और कॉमेडियन हमेशा से हिंदी फिल्मों का हिस्सा रहा है ।
50 के दशक के शुरू में हिंदी फिल्मों में जिन हास्य कलाकारो का हाथ रहा उनमें आगा और मिर्जा मुसर्रफ प्रमुख है। मिर्जा साहब अपने टेढ़ी-मेढ़ी जबड़े की एक्सरसाइज के साथ डायलॉग बोलते थे और हंसाते थे। आगा ज्यादा अच्छे कॉमेडियन थे और अपने चेहरे के एक्सप्रेशन से ही लोगों को हंसा दिया करते थे । 50 के दशक शुरू होने के कुछ समय बाद जॉनी वॉकर एक कॉमेडियन के रूप में आए और उन्होंने अपनी पक्की जगह बना ली । उनकी उस जमाने की मशहूर फिल्में टैक्सी ड्राइवर सीआईडी और मिस्टर एंड मिसेस 55 आदि रही है ।
1960 का दशक शुरू होते ही राजेंद्रनाथ आ गए मेडियन के रूप में और दिल देके देखो फिल्म से उन्होंने अपना स्थान बना दिया
जहां जाने वाकर एक इंटेलिजेंट कॉमेडियन के रूप में दिखाई देते थे वही राजेंद्र नाथ एक बेवकूफ के रूप में एक्टिंग करने में माहिर थे। जॉनी वॉकर की तरह राजेंद्रनाथ ने भी काफी लंबे समय तक राज किया उसके बाद 70 के दशक में महमूद आ गए पर्दे पर और उन्होंने दूसरों को बेवकूफ बनाकर लोगों को हटाया। उनकी देखने लायक फिल्मों में प्यार किए जा हमजोली मुझे अभी तक याद है फिरअसरानी साहब का आगमन हुआ। असरानी शायद सबसे ज्यादा देर तक टिकने वाले कॉमेडियंस में से एक थे और हमेशा फर्क फर्क तरह की एक्टिंग करके मनोरंजन किया करते थे जबकि राजेंद्रनाथ एक ही टाइप में माहिर थे । कुछ और कलाकारों का नाम लिया जा सकता है पर वह ज्यादा पॉपुलर नहीं हुए और कुछ भी फिल्मों में दिखाई दिया। इनमे पेंटल सतीश शाह मुख्य थे। एक और हास्य कलाकार हैं जो सिर्फ एक टाइप की एक्टिंग करते थे शराबी की और उनका नाम है केस्टो मुखर्जी।
कुछ और नाम है हास्य कलाकारों के जो याद आ रहे हैं । इनमें उत्पल दत्त ओम प्रकाश और केस्टो मुखर्जी प्रमुख हैं । फिल्म गोलमाल में तो यह तीनों ही लोग थे और वह फिल्म शायद अपने टाइप की अकेली ही फिल्म थी बहुत ही मनोरंजक।
80 के दशक के अंत में जॉनी लीवर ने बॉलीवुड में प्रवेश किया। वह पहले एक उच्च कोटि के मिमिक आर्टिस्ट के रूप में और बाद में एक कॉमेडियन के रूप में आए। वह अपनी लाउड एक्टिंग के लिए मशहूर थे यानि इनका हंसाने का तरीका था जोर जोर से चिल्ला कर डायलॉग बोलना। इसके बाद जो नाम सामने आता है वह है राजपाल यादव । इनकी बिल्कुल अलग ही तरह की कॉमेडी थी और शुरू में बहुत ही प्रभावशाली रहे जैसे फिल्म हंगामा में।
आगे का इतिहास फिर कभी।
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