मुंबई भी कभी बंबई था ।
आज से कई सौ साल पहले बंबई या मुंबई नाम का कोई शहर नहीं था। जिस जगह आजकल एक बात विशाल शहर है वहां पर सात छोटे-छोटे द्वीप हुआ करते थे जिनके बीच में समुद्र का पानी था। तब यहां कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था की समुद्र की जगह जमीन आ जाएगी और एक मेट्रोपॉलिटन शहर बन जाएगा।
कहते हैं कि इन द्वीपों पर कोली नाम के आदिवासी रहते थे अनादि काल से। आज से सैकड़ो साल पहले यहां पर अजंता की एलिफेंटा की गुफाएं की कलाकृतियां बनी और करीब एक हजार साल पहले वालकेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर की स्थापना हुई। हाजी अली की दरगाह जो वर्ली में है उसका निर्माण आज से करीब 600 साल पहले हुआ था। उसे जमाने में छोटे-मोटे राजाओं के कंट्रोल से हट कर यह दीप समूह गुजरात सुल्तानत में समा गया था।
इसी समय काल में ब्रिटेन के, पुर्तगाल के, डच साम्राज्य के
और फ्रांसीसी साम्राज्य के जहाजी बड़े पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए घूम रहे थे । आज से 500 साल पहले इन द्वीपों पर पुर्तगाल का कब्जा हो गया। उन्होंने इन द्वीपों का नाम बॉम्बेन रख दिया। पुर्तगालियों ने यहां पर कई चर्च बताएं और मजबूत किले बताएं।
यह द्वीप समूह एक प्राकृतिक बंदरगाह के रूप में बहुत ही अमूल्य थे और इन पर बहुत से पाश्चात्य देशों की नजरें थी जिसमें ब्रिटेन भी एक था। शब्द 1661 में ब्रिटेन के राजकुमार की शादी पुर्तगाल की राजकुमारी के साथ हो गई और दहेज में यह दीप समूह ब्रिटेन को भेंट कर दिए गए और तब यह ब्रिटिश साम्राज्य के कब्जे में आ गया। ब्रिटेन के नरेश ने इन्हे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने द्वीपों को जोड़ने का काम शुरू किया और यह 18वीं शताब्दी के अंत तक पूरा हो गया और इस तरह यह द्वीप समूह एक बड़े शहर में परिवर्तित हो गया। फिर इसका विकास बहुत तेजी से हुआ और जिसे आज दक्षिण मुंबई कहते हैं वह भव्य शहर की तरफ परिवर्तित होने लगा।
धीरे-धीरे मुंबई का विकास एक बहुत बड़े समुद्री बंदरगाह के रूप में हो गया और बहुत तेजी से विकास के कारण यह एक बहुत बड़ा व्यावसायिक केंद्र भी बन गया । यहीं से अंग्रेजों ने भारतीय रेलवे की पहली ट्रेन चलाई जो मुंबई से पूना के लिए रवाना हुई ऐसा कहते हैं।
आजादी के बाद और भाषाओं के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन होने पर मुंबई महाराष्ट्र राज्य की राजधानी बन गया। फिर तो इसकी आबादी तेजी से बढ़ने लगी और यह आवश्यक हो गया कि इसके नजदीक एक दूसरे शहर की स्थापना की जाए जिससे मुंबई शहर पर जनसंख्या का बुरा दबाव ना पड़े। इस तरह नवी मुंबई का निर्माण शुरू हुआ और आज वह एक बड़े शहर के रूप में उभर कर सामने आया है।
यह तो है मुंबई की कहानी। मुंबई शहर में खासकर दक्षिण मुंबई में अंग्रेजों का और पारसी समुदाय का कितना बड़ा योगदान है यह मैं फिर कभी बताऊंगा। आज के लिए इतना ही काफी।
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