Total Pageviews

Monday, 8 September 2025

कुछ बातें टेलीफोन के बारे में

एक जमाने में मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे। और देखा जाए तो डेढ़ सौ साल पहले पुराने वाले टेलीफोन भी नहीं हुआ करते थे। 


टेलीफोन का आविष्कार 19वीं के उत्तरार्ध में हुआ और इसका व्यवसायिकरण बीसवीं  सदी केआते-आते होने लगा। सबसे पहले टेलीफोन शायद न्यूयॉर्क शहर में आए और 20वीं सदी के पहले कुछ दशकों में यह पूरे विश्व में फैलने लगे 

पहले टेलीफोन कुछ दूसरी तरह के होते थे । और आपको अगर किसी को फोन करना होता था तो यह एक टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से होता था जहां पर आपको उसका नंबर बताना पड़ता था और टेलीफोन एक्सचेंज में आपके नंबर का तार उसे नंबर के तार से जोड़ दिया जाता था और बातें शुरू हो जाती थी। 

फिर टेलीफोन के डिजाइन  बदलने लगे और ऑटोमेटिक प्रणाली भी शुरू हो गई जिससे आप खुद ही दूसरे का नंबर मिल सकते थे। यह टेलीफोन शुरू शुरू में काले रंग के होते थे।

 पर बाद में कई सुंदर रंगीन डिजाइन में भी आने लगे।


20 सी सदी के मध्य तक कुछ भविष्यवक्ताओं ने यह कहना शुरू कर दिया था की एक समय ऐसा आएगा जब लोग कहीं पर से भी  अपनी एक छोटा से यंत्र से बिना किसी तार के  किसी  से संपर्क कर सकेंगे। निकोला टेस्ला ने तो1926 में ही यह कह दिया था कि भविष्य में ऐसे फोन आएंगे जिन्हें जेब से निकाल कर संसार के किसी भी कोने से संपर्क किया जा सकेगा।

भारत में 20वीं सदी के अंत तक तार वाले पुराने टेलीफोन ही लोकप्रिय रहे पर 1990 के दशक में धीरे-धीरे नए जमाने के शुरुआती बेतार मोबाइल फोन का आना शुरू हो गया। इस समय के मोबाइल फोन की लोकप्रिय कंपनियां थी एरिकसन और नोकिया जिन्हेंने मोबाइल फोन मार्केट पर अपना डंका बजा रखा था। 

यह फोन आजकल के मोबाइल फोन से बहुत फर्क थे। एक छोटे से मोबाइल फोन में ऊपर एक स्क्रीन होता था और उसके नीचे जीरो से  नौ तक नंबर होते थे। आपको किसी दूसरे को टेलीफोन करने के लिए उसके नंबर को टाइप करना पड़ता था और फिर एक बटन दबाना पड़ता था जिससे टेलीफोन कनेक्ट हो जाता था और बातें शुरू हो जाती थी। 

यह फोन बहुत महंगे थे और इसमें बातें करने के बहुत ज्यादा पैसा पड़ते  थे। मैंने एक बार  2001 में ऐसे ही एक फोन का इस्तेमाल किया था और उसके लिए मुझे हर मिनट के लिए ₹8 देने पड़े थे जबकि टेलीफोन में 3 मिनट के लिए तब शायद 15 पैसे होते थे। 

धीरे-धीरे इन छोटे से मोबाइल फोन में कई अच्छे फीचर्स आने लगे जैसे की कई तरह के गेम्स, कैमरा, दूसरे को लिखित संदेश भेजने की सुविधा जिसे SMS कहा जाता है। इसके अलावा कई ऐसी सुविधा आ गई जिन्हें एप्स कहते हैं जैसे फेसबुक गूगल प्लस, reddit , linked in , quora इत्यादि। यहीं से स्मार्टफोन की शुरुआत होती है।

 बिना टाइप करने वाले touch सिस्टम के स्मार्टफोंस का आना जब शुरू हुआ तो पहले यह छोटे साइज में आए और फिर बड़े साइज में आने लगे।

21 सी सदी के दूसरे दशक में चीन भी मोबाइल फोन के उत्पादन में जोर-शोर से आगे आया और उसके फोन सस्ते होने की वजह से पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गए । इस तरह नोकीया और इरेक्शन कंपनियों की mobile market में  पकड़ कम होती चली गई। 

आज यह हाल है कि भारत जैसे कम समृद्ध और ज्यादा गरीबी वाले देश में भी बहुत ही कम आमदनी वाले मजदूर इत्यादि के पास भी स्मार्टफोन आ गए जिस पर वह अपने ग्राहकों से संपर्क करके अपना कामकाज आसान करने लगे। मोबाइल फोन डाटा भी पहले से काफी सस्ता हो गया जिससे कमजोर वर्ग के लोग भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने में सक्षम हो गए।

स्मार्टफोन आने की वजह से सस्ते कैमरा, सस्ती घड़ियां , सस्ते कैलकुलेटर , टॉर्च इत्यादि की मार्केट में भी काफी भूचाल आया और उनके खरीददारी  करीब करीब खत्म हो गई। 

आगे क्या होने वाला है यह तो पता नहीं पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने पर अब बहुत तेजी से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है और कुछ भी संभव हो सकता है। कुछ असंभव नहीं है। 

***

No comments: