लॉकडाउन तो मार्च में आया लखनऊ में, पर हम तो बहुत पहले ही चौकन्ना हो गए थे क्योंकि हम वुहान का पूरा हाल देख सुन चुके थे टेलीविजन पर । हमने फरवरी में ही नाक मुंह के ऊपर बहुत बड़ा सा काला रुमाल लपेटना शुरू कर दिया था।
तो किस्सा है फरवरी के महीने का है जब हम पैसे निकालने के लिए बैंक गए थे। तीन चार आदमियों की लाइन थी हम भी लग लिए उसी में।
काउंटर के अंदर एक मोटी सी मैडम बैठी हुई थी सजी-धजी लिपस्टिक लगाकर । नोटों की गड्डी सामने रक्खी थी।
जब हमारा नंबर आया तो हमारे ऊपर नजर पड़ते ही मैडम थोड़ी घबरा गई और हमने ज्यो ही चेक निकालने के लिए बैग में हाथ डाला कि उन्होंने झट से सब पैसे ड्राअर के अंदर डाल दिए और उछलकर कटघरे से बाहर चली गई।
हम उस समय बैंक में अकेले आदमी थे जो नकाबपोश की तरह काला रुमाल नाक और मुंह के ऊपर लगाए हुए थे।
हम ने पीछे खड़े सज्जन से कहा " भइया यह अचानक चली क्यों गई ?"
तो वह कहने लगे "आप को देखकर डर गई और सोचा होगा कि थैली में हाथ डालकर डाकू पिस्तौल निकाल रहा है।"
हम ने झट से रुमाल हटा दिया और हाथ में चेक लेकर ऊपर को हाथ करा ताकि दिखाई दे दूर तक कि हाथ पर चेक है पिस्तौल नहीं। महिला ने भी हमारे हाथ में चेक देख लिया और खिसियानी हंसी लेकर लौट आई वापस और उन्होंने हमारा चेक लेकर हमें पैसे दे दिए।
पैसा देते वक्त बोली "ऐसा ड्रामा मत किया कीजिए बैंक में आकर"।
हमने कहा " ड्रामा नहीं कर रहा हूं मैडम । वुहान का क्या हाल है पता है आपको? "
मैडम झुंझला कर कहने लगी "मैं किसी वुहान नाम के आदमी को नहीं जानती। आप हट जाइए और पीछे वाले को आने दीजिए आगे"
अब बताइए उन्हें पता ही नहीं था कि वुहान एक जगह है चीन में जहां से वायरस शुरू हुआ था ।
वह तो जब मोदी जी ने मार्च में आकाश वाणी की तब जाकर कहीं लोगों ने मास्क लगाना शुरू किया । आज हर आदमी मास्क लगाए हुए हैं और सबको पता है कि वुहान क्या होता है । पर समय से पहले कोई काम किया जाए तो आदमी को लोग समझ नहीं पाते ।
अब दुबारा मार्च आने वाला है पर यह वायरस जाने का नाम ही नहीं लेता। अब तो सारी दुनिया के लोग मास्क के पीछे अपने मुंह और नाक को छुपाए बैठे हैं । सारी की सारी फैशनेबल औरतें भी मास्क के पीछे अपना चेहरा छुपाए बैठी है।
सोचने वाली बात यह है कि जब लेडीस ही मुंह छुपाए बैठी हैं तो लिपस्टिक बनाने वाली कंपनियों का क्या हाल हो रहा होगा । मेरे ख्याल से तो भट्टा ही बैठ गया होगा अब तक!
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