मोटर गाड़ी
एक जमाना था जब कार स्कूटर मोटरसाइकिल बस यह सब नहीं होते थे। उस जमाने में एक नई सवारी यानि साइकिल आई थी । अजीबोगरीब ढंग की । आगे बहुत बड़ा पहिया होता था और पीछे एक छोटा पहिया ।
तब बग्गी तांगा एक्का इत्यादि ही होते थे । घोड़ों का राज था । घोड़े की भी सवारी होती थी और बैलगाड़ी में भी लोग आते जाते थे । सड़क कच्ची ही होती थी। जब घुड़सवार सड़क पर जाता था तो घोड़े के टाप की धूल पीछे उड़कर जमा होती रहती थी।
1890 के आस-पास कार का आगमन हुआ। रिक्शा टाइप की कार हुआ करती थी, खुली हुई। रईस लोगों को टमटम की आदत है और उसी की नकल पर कार की शुरुआत हुई थी। आवाज बहुत करती थी । उसे स्टार्ट करना बड़ा मुश्किल होता था।
पुराने जमाने में अंग्रेजों का राज था भारत में तो ज्यादातर कार शुरू शुरू में ब्रिटेन की बनाई हुई होती थी जैसे मोरिस हिलमैन ऑस्टिन इत्यादि। शुरू शुरू में 20 और 30 के दशक में कुछ मोटर गाड़ियों में बाहर पीछे एक डब्बा जैसा होता था नौकर के बैठने के लिए। और भी देशों की कारें बन रही थी और काफी चल रही थी विदेशों में देखिए कुछ फोटो सौजन्य से विकीपीडिया के।
1940 के दशक में लैंड रोवर नाम की एक गाड़ी आई जो जीप और कार के बीच की सुविधा वाली की थी । हमारे पास भी 1950 के दशक में शुरू से ही लैंड रोवर रही है और उसी पर मैंने कार चलाना सिखा था ।
अमेरिका की गाड़ी बहुत बड़ी हुआ करती थी और अमेरिकन बहुत पैसे वाले लोग थे बीसवीं सदी में। 1950 के मध्य मे chevarlet company ने एक गाड़ी निकाली इंपाला जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी। तब से लेकर अगले कुछ सालों तक chevarlet में एक से एक नए मॉडल्स में इंपाला निकाली और लोगों का मन मोह लिया ।
21वीं सदी के शुरू से मानव जाति को वातावरण में प्रदूषण से चिंता होने लगी और बिजली से चलने वाली वाहनों का उत्पादन करने की अभियान चला इस अभियान में टेस्ला काफी आगे रहा है और बाद में अन्य मैन्युफैक्चर अभी आगे आए हैं अगले कुछ दशकों में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन लगभग समाप्त हो जाएंगे और बिजली से और सूर्य की ऊर्जा से चलने वाले वाहनों का प्रचलन होने लगेगा ।इससे मध्य पूर्व के इस्लामिक राज्यों का जो पूरे विश्व पर एक आर्थिक साम्राज्य है वह खत्म होने लगेगा
आगे और क्या होना है यह कहना बहुत कठिन है लेकिन उड़ने वाली कारों का आना शुरू हो गया है अभी व्यावसायिक रूप से तो नहीं आई है लेकिन सफल हो चुकी हैं।
अभी तो 21वीं सदी की शुरुआत ही हुई है इस सदी के अंत तक क्या क्या चमत्कार होंगे यह कहना संभव नहीं है।
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