एक जमाने में
कभी-कभी यह सोच कर आश्चर्य होता है कि हमारे बचपन के दिनों में चीजों के दाम कितने कम थे ।डबलरोटी 40 पैसे की आती थी । 50 पैसे में सौ ग्राम अमूल का मक्खन आ जाता था । रिक्शे में बाजार जाते थे तो रिक्शावाला 25 पैसे लेता था। टमाटर चार आना किलो था ।
कभी-कभी रेस्टो भी चले जाते थे डोसा खाने और कॉफी पीने वहां पर भी छोटी सी रेजगारी में सब सामान मिल जाता था आपको विश्वास नहीं हो रहा है नीचे बिल लगा है ।
हमारी बुआ जी ने 1974 में मकान खरीदा लखनऊ में ₹32000 का । वह भी कई साल तक किस्तों में । किस्त देते रही किराए की तरह फिर मकान अपना हो गया।
मैंने पहला स्कूटर खरीदा 1972 में ₹3400 में उस समय 1 लीटर पेट्रोल ₹1 का आता था और उससे थोड़े दिन पहले तो और भी सस्ता था। देखिए नीचे रसीद लगा दी है मैंने।
इसीलिए यह सोचकर आश्चर्य होता है कि कभी 50 पैसे मतलब उस जमाने की अठन्नी का सिक्का प्योर चांदी का होता था।
जिस हिसाब से दाम बढ़ रहे हैं आगे 20 साल बाद एक डबल रोटी ₹250 की आएगी 100 ग्राम मक्खन ₹400 का आएगा और एक कप चाय भी करीब-करीब ₹100 की आएगी। तब एक देहाडी मजदूर कि रोजाना आमदनी शायद ₹4000 महीने होगी।
तब शायद एक बोरा भर के नोटों का ले जाना पड़ेगा अगर दो तीन आदमी खाना खाने जा रहे हो रेस्त्रा में।
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