रक्तबीज रूपी वायरस
कल बहुत बुरा लगा। हमारे क्लोज रिलेशन जो हमें बहुत प्रिय हैं कल हमारे यहां आए । उन्होंने व्हाट्सएप कर दिया था कि हम आएंगे और गेट से ही आपका कुशल समाचार लेंगे । अंदर नहीं आएंगे।
वैसा ही हुआ । हम उनसे दो 3 मीटर की दूरी पर खड़े होकर मास्क लगाकर अंदर से उनसे बात कर रहे थे और वह बाहर गेट पर खड़े थे ।
मुश्किल से पाँच मिनट बातें हो पाई फिर वह चले गए । और कोई समय होता तो अंदर आकर बैठते । अदरक की चाय पीते बिस्किट दालमोठ खाते और गप्पे लड़ाते घंटे 2 घंटे तक।
इसीलिए कल बहुत दुख हुआ कि 102 साल बाद फिर से एक वायरस पृथ्वी में हाहाकार मचा रहा है। करीब करीब एक साल हो गया है पूरा और तरह-तरह के उपाय पृथ्वी पर चल रहे हैं वायरस से बचने के लिए और इस पूरे साल में सभी लोग परेशान हो गए हैं।
जहान है तो जहान है । हमको अपनी भी रक्षा करनी हैं और जो हमसे दूर खड़े हमसे बात करते हैं उनकी भी लेकिन अब इस वायरस को जाना चाहिए क्योंकि हर चीज की एक सीमा होती है और इस वायरस ने अब सब हदें पार कर दी है।
देवी की कथा में कहा गया है कि रक्तबीज नाम का दैत्य पृथ्वी पर हाहाकार मचा रहा था तो लोगों ने देवी से गुहार की। देवी ने रक्तबीज पर आक्रमण कर दिया लेकिन रक्तबीज का खून जहां गिरता था वहां से सैकड़ों रक्तबीज और पैदा हो जाते थे। यही हाल इस वायरस का है। सैकड़ों करोड़ों अरबों की संख्या में यह फैला हुआ है पूरे विश्व में और हमें मां दुर्गा की तरह शक्तिशाली एक समाधान चाहिए इसका ।
विज्ञान ने इस समाधान को एक वैक्सीन के रूप में प्रस्तुत किया है। देखना यह है कि वैक्सीन इस रक्तबीज को पृथ्वी से कैसे हटाता है।
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