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Monday, 28 December 2020

हमारे टेलीफोन की कहानी

हमारे टेलीफोन की कहानी

तब मैं कोई 5 साल का रहा होगा । एक दिन हमारे घर एक दुबला पतला आदमी आया, हाथ में एक पुराना किस्म का झोला लिए हुए और आकर बोला "मैं टेलीफोन विभाग से आया हूं। टेलीफोन लगाना है"

उस जमाने में टेलीफोन बहुत ही कम लोगों के पास हुआ करते थे। शहर में सिर्फ बड़े सरकारी अधिकारियों के पास या  पैसे वाले लोगों के पास होते थे.

फिर वाह अंदर आया और अपने काम में व्यस्त हो गया । थोड़ी देर के बाद उसने फोन को फिट कर दिया, दीवाल के किनारे, और उस फोन से किसी से बात करने लगा, फिर अचानक फोन को मेरी तरफ बढाते हुए  वह बोला "लो भैया अपने पिताजी से बात करो"। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ के पिता जी कहां से आ गया फोन में । वह तो दफ्तर गए हुए हैं । उसने मेरे कान में फोन लगा दिया। उधर से आवाज आ रही थी "हेलो हेलो बेटा" । आवाज मेरे पिताजी की थी । मुझे आश्चर्य हुआ और मैंने घबरा कर कह दिया " बड़े साहब सलाम" जो उसने कहा पिताजी से कहा था जब उसने मेरे पिताजी से बात की थी । मेरे पिताजी हंसने लगे जोर-जोर से,  और मैं घबरा कर भाग गया बाहर।

 यह मेरा टेलीफोन से पहला परिचय था । यह candle टाइप टेलीफोन कई साल तक चला ।इसमें अपने आप डायल करने की सुविधा नहीं होती थी। एक्सचेंज से नंबर मागना पड़ता था । जब मैं फोन उठाता था तब कान में आवाज आती थी "नंबर प्लीज" । मै नंबर बता देता था और वह नंबर लगा देता था टेलीफोन एक्सचेंज में।

फिर सेल्फ डायलिंग फोन आए जिसमें आप उंगली डालकर डायल घुमाते थे । हम लोगों के पास काले रंग का सेल्फ डायलिंग फोन था जो काफी दिनों तक चला

उसके बहुत साल के बाद आया बहुत बढ़िया कलर वाला हल्के ऑफ व्हाइट रंग का डिजिटल फोन जिसमें बटन दबाना पड़ता था अंगुली डालकर घुमाना नहीं पड़ता था ।

90 के दशक में मोबाइल फोन आने शुरू हो गए शुरू शुरू में कॉल बहुत महंगी थी ₹8  मिनट । उस जमाने के ₹8 बहुत होते थे । फिर धीरे-धीरे रेट गिरने लगा और फोन भी सस्ते होने लगे । शुरू शुरू में नोकिया के फोन बहुत पॉपुलर थे और काफी महंगे भी थे। इन फोन को आजकल बेसिक फोन कहते हैं। 

अब दूसरे टाइप के बड़े फोन काफी प्रचलित हो गए हैं जिनको स्मार्टफोन कहा जाता है और जिस में इंटरनेट डाटा की वजह से आप फोन करने के अलावा बहुत कुछ और भी कर सकते हैं। 

जिस तेजी से विज्ञान के जगत में इलेक्ट्रॉनिक की प्रगति हो रही है उससे यह कहना संभव है कि अगले कुछ सालों में टेलीफोन के जगत में कुछ और भी चमत्कार हो सकते हैं

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